सिंदबाद , मैजिकल लाइफ
सिंदबाद ने उन दवाई वाले छोटे-छोटे पेड़ों से अपना इलाज किया। कुछ पेड़ों की पत्तियों को अपनी चोटों पर लगाया.. जिससे उसके घावों पर बीमारी ना फैले। फिर धीरे-धीरे अपने लिए खाने पीने की चीजें ढूंढने लगा। थोड़ा आगे जाने पर बहुत ही सारे दरख़्त थे.. जिन पर मीठे फल लगे हुए थे सिंदबाद ने कुछ दरख़्त तो देखे भी नहीं थे और उनके फलों को भी खाने के बारे में नहीं सोच सकता था। कुछ देर और ढूंढने के बाद कुछ जाने पहचाने दरख़्त, फल और पत्तियां मिली.. जिनके बारे में उसे जानकारी थी। सिंदबाद ने उन फलों और पत्तियों को तोड़कर पेट भर कर खाया। आगे दोबारा वह फल और पत्तियां मिले ना मिले यह सोच कर उसने कुछ फल और पत्तियां अपने पास तोड़कर भी रख ली थी।
खाने के बाद उसने वही कुछ वक्त आराम किया ताकि फिर से अपने आपको तरोताजा बना सके। थोड़ी देर सोने के बाद वह सिंदबाद अपने आप को तरोताजा महसूस कर रहा था। उठ कर उसे थोड़ी भूख और लगी.. उसने फिर से कुछ फल और पत्तियां खाई और थोड़ी अपने पास रखकर आगे बढ़ गया। ताकि इस अनजान जगह पर रात बिताने के लिए कुछ महफूज जगह ढूंढ पाए।
सिंदबाद घूमते हुए अपने लिए कोई महफ़ूज़ जगह ढूंढ रहा था। तब उसने वहां एक खूबसूरत और उम्दा नस्ल की घोड़ी को चरते हुए देखा। घोड़ी को देखते ही सिंदबाद को वह बहुत ज्यादा पसंद आई। सिंदबाद ने जब घोड़ी को देखा तो उसको थोड़ी सी आस बंधी.. कि हो ना हो यहां पर उसे किसी भी तरह की मदद मिल सकती थी। सिंदबाद ने बहुत ही आरज़ूमंद होकर जल्दी-जल्दी उस घोड़ी के नजदीक गया। सिंदबाद ने देखा.. वह घोड़ी बहुत ही ज्यादा खूबसूरत थी। सफेद रंग की वह घोड़ी.. उसके बाल भी चमकदार सफेद थे, आंखें बहुत ही खूबसूरत और बोलती हुई महसूस हो रही थी.. बस उस घोड़ी के कान काले थे। सिंदबाद को बहुत ज्यादा हैरानी हुई.. उस घोड़ी को वहां खूंटे से बंधा देखकर। सिंदबाद उस घोड़ी की पीठ पर हाथ फेरने लगा। जैसे जैसे सिंदबाद उस घोड़ी की पीठ पर हाथ फेर रहा था.. उस घोड़ी ने भी सिंदबाद से जान पहचान कर ली थी। वह भी सिंदबाद की तरफ देखकर हिनहिनाने लगी थी।
सिंदबाद ने आसपास उसके मालिक को ढूंढना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर के बाद सिंदबाद ने एक जगह कुछ आम से अलग महसूस की। सिंदबाद ने झुक कर देखा तो.. जमीन के नीचे से कुछ आदमियों के बात करने की आवाजें आ रही थी। सिंदबाद ने आसपास जायजा किया तो उसे कुछ भी अलग दिखाई नहीं दिया। ना ही जमीन के नीचे जाने का ही कोई रास्ता उसे मिला था।
कुछ देर सिंदबाद वही इधर उधर टहल कर वापस घोड़ी के पास आ गया.. और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा। घोड़ी भी उसके लिए अहसानमंद थी। सिंदबाद की शान में अपनी गर्दन ऊपर नीचे कर के हिलाने लगी.. और हिनहिनाने लगी थी। हिनहिनाते हुए वह अपने खुरों से जमीन पर मारने लगी थी। घोड़ी के खुरों की आवाज सुनकर एक आदमी एक बड़े से पत्थर के पीछे से बाहर निकला।
सिंदबाद को वहां घोड़ी के पास देख कर वह चौक गया। वह दौड़ता हुआ सिंदबाद के पास आया और सिंदबाद के सामने आकर अपनी शमशीर उसकी तरफ तान दी। सिंदबाद इस अचानक के हमले से घबरा गया था। इस वक्त सिंदबाद बहुत ही ज्यादा हड़बड़ाया और घबराया हुआ लग रहा था। सिंदबाद ने शमशीर चलाते हुए बहुत लोगों को देखा था.. पर कभी खुद से शमशीर को हाथ नहीं लगाया था और ना ही कभी ऐसी नौबत आई थी कि कोई उसकी गर्दन पर शमशीर रख दे।
डर के कारण वह पसीना पसीना हो गया था। उस दूसरे आदमी ने गरजते हुए सिंदबाद से पूछा, "कौन हो तुम?? और यहां कैसे आए?? इस टापू पर जहां कोई भी आदमजाद दिखाई नहीं देता.. तुम यहां क्या कर रहे हो..??"
सिंदबाद ने एक लंबी सांस लेकर अपने आप को संभाला और उस आदमी की बातों का जवाब देने लगा। सिंदबाद ने कहा, "मैं वक्त का मारा.. एक सौदागर जहाजी हूं..!! अपनी बदकिस्मती से यहां पहुंच गया और फंस गया।"
ऐसा कहकर सिंदबाद ने अपनी दुख भरी दास्तान उसे सुनाई। उस आदमी के दिल में सिंदबाद की दर्द भरी दास्तान सुनकर थोड़ी हमदर्दी पैदा हुई और उसने सिंदबाद को अपने पीछे आने के लिए कहा।
वह सिंदबाद को लेकर अपने उस खुफ़िया तहखाने में ले गया.. जहां पर और भी लोग थे। यहीं वह तहखाना था जिसमें से आने वाली आवाजों को सिंदबाद ने सुना था। जिस तहखाने से आवाजें सिंदबाद ने सुनी थी.. वो तहखाना जहां घोड़ी बंधी थी.. उससे दाएं तरफ कुछ फासले पर था। घोड़ी के दायीं तरफ एक बड़ा सा पत्थर पड़ा हुआ था.. उसी पत्थर के पीछे एक खुफिया दरवाजा था.. उसी दरवाजे का इस्तेमाल करते हुए.. वह लोग उस तहखाने में आते जाते थे।
सिंदबाद भी उस आदमी के पीछे उस तहखाने में चला गया।
Babita patel
04-Sep-2023 08:24 AM
Very nice
Reply
kashish
03-Sep-2023 04:29 PM
Nice
Reply
KALPANA SINHA
03-Sep-2023 09:38 AM
Nice
Reply